क्या चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का मतलब है कि भारत विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है?
- bpsinghamu
- Jun 3
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ऊर्जा खपत और परमाणु ऊर्जा की भूमिका के दृष्टिकोण से एक विचार
एक शिक्षा विशेषज्ञ के रूप में, मैंने इस समाचार पर अपने विचार साझा करने की कोशिश की है। पिछले कुछ दिनों से इस विषय पर मैंने गहराई से सोचा है और कई रिपोर्टें पढ़ीं ताकि इस ब्लॉग को लिखते समय सही दृष्टिकोण पेश कर सकूँ...
भारत का आर्थिक उत्थान एक वैश्विक मील का पत्थर है...
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Montory Fund) के अनुसार, जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और अनुमानित GDP $4.187 ट्रिलियन तक पहुंचना उसकी आर्थिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है [IMF, 2024]। GDP किसी देश में एक तय समय में बनी सारी चीज़ों और सेवाओं का कुल मूल्य है। सेवाओं का हिस्सा GDP में उन सेवाओं का भाग होता है, जैसे बैंकिंग, शिक्षा, और स्वास्थ्य, जो अर्थव्यवस्था में काम करती हैं। यह उपलब्धि भारत की गतिशील वृद्धि, विस्तारित डिजिटल अर्थव्यवस्था, और वैश्विक जुड़ाव को दर्शाती है। यह राष्ट्रीय गर्व का क्षण है, जो दशकों के संरचनात्मक सुधारों और रणनीतिक मजबूती का परिणाम है।
विका स Vs आर्थिक आकार फर्क समझना...
हालाँकि, एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए केवल बड़ी अर्थव्यवस्था होना पर्याप्त नहीं है। विकास में उच्च प्रति व्यक्ति आय, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच, मजबूत अवसंरचना, उच्च रोजगार स्तर, पर्यावरणीय स्थिरता, और मानव विकास सूचकांक (HDI) में उन्नति शामिल है। भारत आर्थिक प्रगति के बावजूद संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक जैसे संस्थानों द्वारा अभी भी विकासशील देश के रूप में वर्गीकृत है [UNDP Human Development Report, 2023]। कुल GDP और प्रति व्यक्ति संकेतकों के बीच अंतर एक बड़ी चुनौती है, जिसका भारत को सीधे सामना करना होगा।
प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत विकास का एक महत्वपूर्ण सूचक है...
विकास के सबसे स्पष्ट और प्रासंगिक आधुनिक संकेतकों में से एक है प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत (One of the clearest and most relevant modern indicators of development is per capita energy consumption)। वैश्विक विकास विमर्श में यह एक सामान्य सिद्धांत है कि जिन देशों में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत अधिक होती है, वे औद्योगिक और सामाजिक दृष्टि से अधिक उन्नत होते हैं। इस संदर्भ में, भारत की वर्तमान प्रति व्यक्ति विद्युत खपत लगभग 1,300 से 1,400 किलोवाट-घंटा प्रति वर्ष है, जबकि विकसित देशों की प्रति व्यक्ति खपत आमतौर पर 6,000 किलोवाट-घंटा प्रति वर्ष से अधिक होती है [IEA, 2023]। यह अंतर केवल विकास की कमी नहीं बल्कि एक विशाल जनसंख्या के लिए आधुनिक सेवाओं की सीमित पहुंच का संकेत भी है। वर्ष 2023-24 में भारत की प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1,395 किलोवाट-घंटा (kWh) तक पहुँच गई, जो 2013-14 की 957 kWh की तुलना में 45.8% की वृद्धि दर्शाती है।
भारत के विकास मार्ग में ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका...
ऊर्जा आधुनिक सभ्यता की धड़कन है। ऊर्जा न केवल घरों और परिवहन को चलाती है बल्कि अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, जल और स्वच्छता सेवाओं, कृषि एवं उद्योगों को भी संचालित करती है। यदि भारत विश्वसनीय और समान सेवाएं प्रदान करना चाहता है और अपनी विविध जनसंख्या के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना चाहता है, तो उसकी ऊर्जा अवसंरचना (infrastructure) को पर्याप्त रूप से बढ़ाना होगा। इसे सततता (sustainability) के साथ हासिल करना आवश्यक है — और इस दिशा में परमाणु ऊर्जा का एक विशेष योगदान हो सकता है। मैंने इसे संक्षेप में इस तरह समझाने की कोशिश की है कि कैसे...
परमाणु ऊर्जा-एक स्वच्छ और विश्वसनीय सहयोगी है...
एक प्रयोगात्मक नाभिकीय भौतिक विज्ञानी के रूप में, मैं भारत की परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बदलती संभावनाओं को नज़दीक से देखता हूँ और उनका विश्लेषण करने का प्रयास करता हूँ। भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम (Nuclear Power Corporation of India) के माध्यम से, वर्तमान में भारत 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 23 व्यावसायिक परमाणु रिएक्टरों का संचालन कर रहा है, जो देश की कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 4-5% योगदान देते हैं [NPCIL, 2024]। प्रमुख रिएक्टरों में काईगा, कुडनकुलम और तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन शामिल हैं, जबकि कलपक्कम में प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर जैसी उन्नत परियोजनाएं भारत की नाभिकीय तकनीक में नेतृत्व को दर्शाती हैं। भारत का पहला प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थित है। यह 500 मेगावाट विद्युत (MWe) क्षमता वाला सोडियम-कूल्ड फास्ट ब्रीडर रिएक्टर है, जिसे भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (BHAVINI) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। PFBR भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्लूटोनियम और यूरेनियम-238 का उपयोग करके अधिक ईंधन उत्पन्न करना है। इसके डिजाइन में इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। PFBR की निर्माण प्रक्रिया 2004 में शुरू हुई थी और यह रिएक्टर 2026 तक चालू होने की संभावना है। यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), और राजा रामन्ना उन्नत तकनीक केंद्र (RRCAT) जैसे अनुसंधान संस्थान परमाणु अनुसंधान, विकास और शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन प्रभावशाली अनुसंधान संस्थान के बावजूद, परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी भारत की कुल ऊर्जा मांग के मुकाबले सीमित है। यह स्थिति बदलनी होगी। परमाणु ऊर्जा एक कम-कार्बन, आधार-लोड ऊर्जा स्रोत है जो भौगोलिक या मौसम संबंधी प्रतिबंधों से मुक्त है। नए रिएक्टर डिजाइनों जैसे स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) के समावेश से भारत भूमि की कमी की समस्या से उबर सकता है और दूरदराज के क्षेत्रों में तेजी से ऊर्जा पहुंचा सकता है। परमाणु ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति क्षमता इसे औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य प्रणालियों, डेटा केंद्रों और ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए आवश्यक बनाती है।
परमाणु शिक्षा और जागरूकता से एक जागरूक राष्ट्र का निर्माण
परमाणु अवसंरचना के विस्तार के साथ-साथ परमाणु शिक्षा और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना भी अत्यंत आवश्यक है। भारत में होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (HBNI) जैसे प्रमुख संस्थान हैं, जो परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग में उन्नत डिग्रियां और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे एक कुशल कार्यबल तैयार होता है जो परमाणु क्षेत्र में नवाचार और सतत विकास सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, भारत के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), दिल्ली विश्वविद्यालय (DU), बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU), और IITs में भी प्रयोगात्मक नाभिकीय भौतिकी के लिए बुनियादी शिक्षण अवसंरचना उपलब्ध है। ये विश्वविद्यालय छात्रों को मूलभूत और उन्नत स्तर पर परमाणु भौतिकी का अध्ययन और प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे देश में परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर शोध और विकास को बढ़ावा मिलता है। परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा, इसके लाभों और पर्यावरणीय फायदे के बारे में जनता की समझ बढ़ाने से इसके लिए व्यापक समर्थन और स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। नीति निर्माता, शिक्षक और वैज्ञानिक मिलकर परमाणु विज्ञान को शैक्षिक पाठ्यक्रमों और सार्वजनिक संवाद का हिस्सा बनाएं ताकि युवा पीढ़ी में इस क्षेत्र के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़े।
नीति दृष्टिकोण और वैज्ञानिक तत्परता से अंतर को पाटना ..
भारत का वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र इस क्षेत्र में योगदान देने के लिए तैयार है। अब आवश्यक है कि राष्ट्रीय नीति, निवेश और नियामक समर्थन को सामंजस्य किया जाए ताकि परमाणु ऊर्जा अवसंरचना का व्यापक विस्तार हो सके। नीति सुधारों से मंजूरियां सरल हों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी आकर्षित हो और परमाणु ऊर्जा को भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन का मुख्य स्तंभ बनाया जाए। नीति निर्माताओं द्वारा शीघ्र और निरंतर कार्रवाई की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि परमाणु ऊर्जा संयंत्र जैसी लंबी अवधि की अवसंरचना के लिए वर्षों की योजना और निष्पादन की जरूरत होती है। आज निवेश में देरी कल के अवसरों को नुकसान पहुंचाएगी। भारत का लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और सामाजिक समावेशन हासिल करना है, जो हमारे त्वरित और प्रभावी कदमों पर निर्भर करता है।
अब समय है, विकसित भारत 2047 की ओर..
जैसे-जैसे हम 2047 की ओर बढ़ रहे हैं, जो भारत की स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष होगा, विकसित भारत की दृष्टि—एक पूरी तरह विकसित भारत—तत्काल और केंद्रित कार्रवाई की मांग करती है। आर्थिक रैंकिंग मात्र एक पहलू है; वास्तविक परिवर्तन इस बात से मापा जाएगा कि कितने नागरिकों को स्वच्छ जल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उन्नत स्वास्थ्य सेवा और 24x7 बिजली उपलब्ध है। प्रति व्यक्ति ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाना, खासकर स्वच्छ और प्रचुर स्रोतों जैसे परमाणु ऊर्जा के माध्यम से, इस लक्ष्य की प्राप्ति की कुंजी है।
हमें याद रखना चाहिए, चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक मील का पत्थर है, लेकिन मंजिल नहीं। एक सच्चे विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा समावेशी विकास, सतत ऊर्जा, वैज्ञानिक नवाचार, और जागरूक जनता द्वारा संचालित होनी चाहिए। परमाणु समुदाय तैयार है। अब हमारे नीति निर्माताओं औरनेताओं को इस तत्परता को दूरदर्शिता और गति के साथ जोड़ना होगा।
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References:
International Monetary Fund (IMF) World Economic Outlook, 2024; United Nations Development Programme (UNDP) Human Development Report, 2023; International Energy Agency (IEA) Energy Statistics, 2023; Nuclear Power Corporation of India Limited (NPCIL) Reports, 2024; Bhabha Atomic Research Centre (BARC), Homi Bhabha National Institute (HBNI) Official Websites
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