न्यूक्लियर बैटरियां: ऊर्जा का अदृश्य शक्ति स्रोत
- Prof. Dr. B. P. Singh
- Sep 29, 2024
- 2 min read
Updated: Mar 6

न्यूक्लियर बैटरियों का भविष्य और वर्तमान उपयोग
न्यूक्लियर बैटरियाँ, जिन्हें परमाणु बैटरियाँ भी कहा जाता है, ऊर्जा उत्पन्न करने वाले अत्यधिक प्रभावी उपकरण हैं जो रेडियोधर्मी अपघटन से ऊर्जा प्राप्त करती हैं। इन्हें वैज्ञानिक रूप से रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (RTG) के रूप में जाना जाता है। ये बैटरियाँ रेडियोधर्मी आइसोटोप के क्षय से उत्पन्न गर्मी को बिजली में बदलने का कार्य करती हैं। नाभिकीय भौतिकी, सामग्री विज्ञान, और इंजीनियरिंग के मेल से बने ये उपकरण पिछले कई दशकों से अंतरिक्ष में विभिन्न मिशनों में उपयोग हो रहे हैं। उनके दीर्घकालिक संचालन और चरम पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी स्थिरता के कारण, न्यूक्लियर बैटरियों ने अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है।
अंतरिक्ष मिशनों में न्यूक्लियर बैटरियाँ
परमाणु बैटरियों का सबसे पहला और महत्वपूर्ण उपयोग अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में हुआ था। अमेरिका द्वारा 1961 में लॉन्च किए गए ट्रांजिट 4A और 4B उपग्रहों में इनका सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया। इन उपग्रहों में प्लूटोनियम-238 से संचालित आरटीजी का उपयोग किया गया था, जो अंतरिक्ष में मिशनों के लिए एक विश्वसनीय और दीर्घकालिक ऊर्जा स्रोत था। तब से, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा विभिन्न अंतरिक्ष मिशनों में आरटीजी का उपयोग किया गया है, जो इसके निरंतर उपयोग की आवश्यकता और प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है।
नाभिकीय विज्ञान के अद्वितीय प्रयोग
न्यूक्लियर बैटरियों के मूल सिद्धांतों में रेडियोआइसोटोप्स द्वारा उत्पन्न विकिरण ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपांतरण शामिल है। इसका एक सामान्य उदाहरण RTG होता है, जो सीबेक प्रभाव के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह प्रभाव तब होता है जब असमान तापमान वाले दो पदार्थ एक विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं।
उदाहरण के लिए, 238Pu (प्लूटोनियम-238) के क्षय से उत्पन्न अल्फा कणों का उपयोग आरटीजी में विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। अल्फा कणों की गतिज ऊर्जा को गर्मी में बदल दिया जाता है, जिससे थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री गर्म होती है और तापमान का अंतर उत्पन्न होता है। यह अंतर विद्युत धारा उत्पन्न करता है जिसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

भविष्य के इनोवेशन और चुनौतियाँ
न्यूक्लियर बैटरियों का भविष्य अत्यधिक उज्जवल है। वैज्ञानिक नई सामग्री और नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग करके इन बैटरियों की दक्षता बढ़ाने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अभी भी हैं, जैसे विकिरण से नुकसान, स्व-अवशोषण, और संरचनात्मक स्थायित्व। इन चुनौतियों को हल करने के लिए बेहतर डिजाइन और उपयुक्त सामग्री का चयन आवश्यक है।
रेडियोआइसोटोप्स का चयन
परमाणु बैटरियों के लिए रेडियोआइसोटोप का चयन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। एल्फा-उत्सर्जक रेडियोआइसोटोप्स जैसे 238Pu और 210Po की उत्पादन शक्ति उन्हें अत्यधिक उपयोगी बनाती है। वहीं, बीटा-उत्सर्जक आइसोटोप्स, जैसे 227Ac और 3H, की शक्ति घनत्व और सुरक्षा सुविधाओं के कारण उनका भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अतिरिक्त, 60Co और 137Cs जैसे आइसोटोप्स की गामा विकिरण उत्सर्जन क्षमता भी अपार संभावनाएँ रखती हैं।
Thank you for your interest in my blog! I'd be happy to share the full article with you. Please feel free to send an email via our "Contact Us" section, and you'll receive the full details promptly.
Comments